national news – Adarsh News9 https://adarshnews9.com Get Latest News Thu, 15 Aug 2024 05:11:02 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://adarshnews9.com/wp-content/uploads/2024/07/adarshnews-logo-150x150.png national news – Adarsh News9 https://adarshnews9.com 32 32 क्या है ‘वन नेशन वन इलेक्शन’, जिसकी बात पीएम ने अपने भाषण में की https://adarshnews9.com/one-nation-one-election-prime-minister-modi-speech-analysis/ Thu, 15 Aug 2024 05:11:00 +0000 https://adarshnews9.com/?p=1006 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के विचार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह अवधारणा भारतीय राजनीति के जटिल तंत्र को सरल बनाने में मददगार हो सकती है और देश को राजनीतिक गतिरोध से उबार सकती है। आइए, इस विचार के लाभ और चुनौतियों पर नज़र डालते हैं।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का आइडिया क्या है?

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का तात्पर्य है कि संसद, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक ही समय पर आयोजित किए जाएं। इसका मतलब यह होगा कि चुनावी प्रक्रिया को एक ही दिन में समेटा जाए, जिससे वोटर एक ही दिन में विभिन्न स्तरों के लिए मतदान कर सकें। केंद्रीय चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग की भूमिका का समन्वय इस विचार के केंद्र में है।

इस विचार के संभावित लाभ

  1. आर्थिक लाभ और समय की बचत: एक साथ चुनाव होने से बार-बार चुनाव की प्रक्रिया की लागत कम होगी, जिससे सरकारी खजाने की बड़ी बचत हो सकती है। इसके अलावा, सरकारी मशीनरी का समय और संसाधन भी बचेंगे।
  2. विकास कार्यों में तेजी: चुनावों के दौरान लागू होने वाली आचार संहिता के कारण विकास कार्य अक्सर प्रभावित होते हैं। एक बार में सभी चुनाव होने से विकास कार्य बिना किसी रुकावट के जारी रह सकते हैं।
  3. काले धन पर नियंत्रण: चुनावों के दौरान काले धन का इस्तेमाल एक बड़ा मुद्दा रहा है। एक बार में चुनाव होने से इस पर नियंत्रण पाने में मदद मिल सकती है।
  4. प्रशासन में सुधार: एक बार में चुनाव होने से सरकारी विभागों के कामकाज में रुकावट कम होगी, जिससे प्रशासनिक कार्य अधिक कुशलता से हो सकेगा।
  5. नीति में सुधार की संभावना: बार-बार चुनावों के दबाव से मुक्त होने पर सरकारें स्थिरता के साथ दीर्घकालिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।

इस विचार के खिलाफ तर्क

  1. क्षेत्रीय पार्टियों को खतरा: भारत के बहुदलीय लोकतंत्र में क्षेत्रीय पार्टियों का महत्वपूर्ण स्थान है। एक साथ चुनाव होने पर छोटी पार्टियों के लिए अस्तित्व की चुनौती पैदा हो सकती है, क्योंकि बड़ी पार्टियाँ संसाधनों की अधिकता का फायदा उठा सकती हैं।
  2. स्थानीय मुद्दे हाशिये पर: लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग मुद्दों पर होते हैं। एक साथ चुनाव होने से स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता मिलना मुश्किल हो सकता है।
  3. चुनाव परिणामों में विलंब: सभी चुनाव एक साथ कराने की स्थिति में चुनाव परिणाम आने में अधिक समय लग सकता है, जिससे नई नीतियों के लागू होने में देरी हो सकती है।
  4. संवैधानिक और तकनीकी समस्याएं: एक साथ चुनाव करवाने के लिए संविधान के कई अनुच्छेदों और कानूनों में संशोधन की जरूरत होगी। इसके अलावा, संसाधनों की उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

सर्वे और भविष्य की दिशा

हाल ही में किए गए एक सर्वे में यह पाया गया कि यदि एक साथ चुनाव हुए तो 77% भारतीय मतदाता एक ही पार्टी को राज्य और केंद्र दोनों के लिए वोट देने के पक्ष में हो सकते हैं। प्रधानमंत्री के भाषण से लगता है कि सरकार इस विचार को गंभीरता से ले रही है, और इसके लागू होने की संभावना पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का विचार एक नया प्रयोग हो सकता है, जो भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ और दुविधाएँ भी हैं, जिन पर विचार करना आवश्यक है।

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गन्ना किसान बनेंगे लखपति ? सरकार की नई योजना से बढ़ेगी आमदनी https://adarshnews9.com/ethanol-price-government-plans-increase-support-farmers-mills/ Tue, 13 Aug 2024 10:37:28 +0000 https://adarshnews9.com/?p=997 भारत सरकार ने गन्ना किसानों और चीनी मिलों के लिए राहत देने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में एथनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी पर विचार शुरू कर दिया है। यह निर्णय किसानों के लिए एक बड़ा वित्तीय समर्थन हो सकता है, जिससे उनकी आय में सुधार होगा और चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार की उम्मीद है। इस प्रस्ताव पर नवंबर 2024 से शुरू होने वाले सत्र के लिए चर्चा चल रही है।

एथनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी: सरकार की नई योजना

सरकार पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिलाकर ईंधन को सस्ता करने की कोशिश कर रही है। साथ ही, वह एथनॉल की कीमतें बढ़ाकर किसानों और मिलों को प्रोत्साहन देने पर विचार कर रही है। जल्द ही एथनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।

किसानों को मिलेगी आर्थिक राहत

सरकार ने एथनॉल की कीमतों में वृद्धि के प्रस्ताव को गंभीरता से लिया है। यह वृद्धि गन्ने के उचित मूल्य को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। इसका उद्देश्य किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त कराना और उनके आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाना है। एथनॉल की कीमतों में वृद्धि से चीनी मिलों को भी लाभ होगा, जो उन्हें गन्ना किसानों का बकाया चुकाने में मदद करेगी।

वर्तमान में, गन्ने के रस से उत्पादित एथनॉल की कीमत 65.61 रुपये प्रति लीटर है। ‘बी-हेवी’ और ‘सी-हेवी’ गुड़ से उत्पादित एथनॉल की दरें क्रमशः 60.73 रुपये और 56.28 रुपये प्रति लीटर हैं। सरकार का लक्ष्य है कि एथनॉल की कीमतों में उचित बढ़ोतरी से किसानों की आय में सुधार हो और चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति को भी मजबूत किया जा सके।

हरित ऊर्जा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

पेट्रोलियम मंत्रालय के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने इस प्रस्ताव पर पहले ही एक दौर की चर्चा कर ली है। इसके तहत, सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का है। एथनॉल की कीमतों में संशोधन इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में जैव ईंधन निर्माण के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की बात की थी। उनका कहना है कि भारत 2030 की समयसीमा से पहले ही 2025-26 तक 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण लक्ष्य प्राप्त कर लेगा। यह भारत की हरित ऊर्जा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भी सहायक होगा।

मिश्रण लक्ष्यों की प्रगति

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में एथनॉल मिश्रण जुलाई 2024 तक 13.3 प्रतिशत तक पहुंच चुका है, जो कि 2022-23 सत्र में 12.6 प्रतिशत था। देश की कुल एथनॉल उत्पादन क्षमता वर्तमान में 1,589 करोड़ लीटर है। पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने 2023-24 सीजन के दौरान मिश्रण के लिए 505 करोड़ लीटर एथनॉल खरीदी है।

अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती

एथनॉल की कीमतों में संभावित वृद्धि किसानों और चीनी मिलों दोनों के लिए एक आर्थिक संजीवनी हो सकती है। यह कदम न केवल किसानों की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाएगा, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत करेगा। सरकार का यह प्रयास गन्ना किसानों की खुशहाली और देश के हरित ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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कैंसिल हुआ 100 वंदे भारत ट्रेनों का ऑर्डर: सरकार क्यों हुई नाराज? https://adarshnews9.com/100-vande-bharat-train-order-cancelled-reason/ Tue, 13 Aug 2024 10:17:05 +0000 https://adarshnews9.com/?p=994 देश भर में लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए वंदे भारत योजना को एक बड़ा झटका लगा है। भारतीय रेलवे ने 100 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का 30,000 करोड़ रुपये का ठेका रद्द कर दिया है। इस योजना के तहत इन ट्रेनों को बनाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन टेंडर प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही इस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया गया है, जिससे इस परियोजना में देरी होने की संभावना है। रेलवे अब इस प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने के लिए अधिक समय मांग रहा है।

टेंडर रद्द होने का कारण

वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए जारी किए गए टेंडर पर विवाद सामने आया है। एल्सटम इंडिया के एमडी, ओलिवर लुइसन ने मनीकंट्रोल को बताया कि टेंडर में वित्तीय मुद्दों के कारण समस्या उत्पन्न हुई। वंदे भारत ट्रेनों के लिए एलुमिनियम बॉडी बनाने को लेकर बातचीत चल रही थी, लेकिन भारतीय रेलवे ने अंततः इस टेंडर को रद्द कर दिया। एल्सटम ने कीमतों को कम करने पर विचार करने की पेशकश की थी, लेकिन रेलवे ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

फ्रांस की कंपनी की कीमतों को लेकर असहमति

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, फ्रांसीसी कंपनी ने प्रति ट्रेन 150.9 करोड़ रुपये की कीमत मांगी थी, जो रेलवे के बजट से अधिक थी। रेलवे ने इसे 140 करोड़ रुपये तक लाने की बात की थी, और दबाव के चलते एल्सटम ने 145 करोड़ रुपये पर डील फाइनल करने की पेशकश भी की थी। हालांकि, यह कीमत 30,000 करोड़ रुपये में 100 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए तय की गई थी। पहले वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का हर वैगन 120 करोड़ रुपये में बनाने का टेंडर पहले ही फाइनल हो चुका था।

रेलवे को मिलेगा अतिरिक्त समय

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस टेंडर के रद्द होने से रेलवे को अपनी कीमतों का पुनः आकलन करने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही, बिडिंग कंपनियों को अपने प्रस्तावों को समझने और सुधारने का मौका मिलेगा। अगले टेंडर में अधिक कंपनियों को शामिल करने की योजना है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और लागत में कमी आ सकती है। इस बार केवल दो कंपनियों ने बिड लगाई थी। टेंडर के तहत 13,000 करोड़ रुपये रैक की डिलीवरी पर और 17,000 करोड़ रुपये अगले 35 साल में रखरखाव के लिए प्रदान किए जाने थे।

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पीएम मोदी की किसानों को बड़ी सौगात: उच्च उपज वाली 109 फसल किस्में जारी https://adarshnews9.com/pm-modi-farmers-new-crop-varieties-2024/ Sun, 11 Aug 2024 09:37:11 +0000 https://adarshnews9.com/?p=969 नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में उच्च उपज देने वाली, जलवायु अनुकूल और जैव-सशक्त फसलों की 109 नई किस्मों को जारी किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने किसानों और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की, जिसमें उन्होंने कृषि में नवीनतम तकनीकों और सुधारों के महत्व पर जोर दिया।

नई फसल किस्मों का अनावरण

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के परिसर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में 109 नई फसल किस्मों का अनावरण किया। इनमें 61 प्रकार की फसलें शामिल हैं, जिनमें से 34 किस्में खेत की फसलों की हैं और 27 किस्में बागवानी फसलों की हैं। यह नई पहल किसानों को अधिक उपज प्राप्त करने और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने में मदद करेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, “ये नई फसल किस्में भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं। इनसे न केवल उनकी उपज बढ़ेगी, बल्कि कृषि के क्षेत्र में सुधार भी होगा। यह कदम हमारी सरकार की कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।”

नई फसल किस्मों का लाभ

प्रधानमंत्री मोदी ने नई फसल किस्मों के महत्व पर चर्चा करते हुए बताया कि ये किस्में जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक सहनशील हैं और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। किसान इन किस्मों के माध्यम से कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे।

उन्होंने कृषि में वेल्यू एडिशन के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि ये नई किस्में किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता भी बढ़ाएंगी। किसानों ने इन नई किस्मों की सराहना करते हुए कहा कि ये उन्हें उनकी कृषि प्रथाओं को आधुनिक बनाने और आर्थिक लाभ प्राप्त करने में मदद करेंगी।

पौष्टिक भोजन और प्राकृतिक खेती पर जोर

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बाजरे की बढ़ती लोकप्रियता और पौष्टिक भोजन की ओर बढ़ते रुझान पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि लोग अब अधिक पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों की ओर रुझान दिखा रहे हैं।

इसके साथ ही, पीएम मोदी ने प्राकृतिक खेती और जैविक खेती के लाभों पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे जैविक खाद्य पदार्थों की मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है और इस दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी सराहना की। किसानों ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा की और इसके माध्यम से अपने कृषि कार्यों में सुधार की उम्मीद जताई।

किस्मों की विस्तृत जानकारी

खेत की फसलों में शामिल हैं:

  • बाजरा: पोषण से भरपूर, सूखा सहनशील किस्में।
  • चारा फसलें: पशुधन के लिए उपयोगी पौधे।
  • तिलहन: तेल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण फसलें।
  • दलहन: प्रोटीन की मुख्य स्रोत।
  • गन्ना: चीनी उत्पादन के लिए आवश्यक फसल।
  • कपास: वस्त्र उद्योग के लिए महत्वपूर्ण फसल।
  • फाइबर: विभिन्न उपयोगों के लिए उपयुक्त फसलें।

बागवानी फसलों में शामिल हैं:

  • फलों की किस्में: उच्च गुणवत्ता वाले और अधिक उत्पादन देने वाली।
  • सब्जियों की किस्में: बेहतर स्वाद और पोषण के लिए।
  • बागान फसलों की किस्में: बेहतर वृद्धि और उत्पादन के लिए।
  • कंद फसलों की किस्में: विभिन्न प्रकार की उपयोगी कंद फसलें।
  • मसालों की किस्में: स्वाद और गुणवत्ता में सुधार के लिए।
  • फूलों और औषधीय फसलों की किस्में: सजावट और चिकित्सा के लिए।

इस नई पहल से भारतीय कृषि क्षेत्र में नवाचार और सुधार की उम्मीदें हैं। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रयास से न केवल किसानों की आय में सुधार होगा, बल्कि भारतीय कृषि को भी वैश्विक मानकों के अनुसार सुधारने में मदद मिलेगी।

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